साहित्य सृजन संस्थान द्वारा आयोजित सम्मान समारोह सह काव्य संध्या, कवियों ने बांधा समां, श्रोताओं ने की वाहवाही

  रायपुर : शहर की प्रतिष्ठित साहित्य सृजन संस्थान ने रायपुर स्थित वृंदावन हॉल में सम्मान समारोह और काव्य संध्या का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री अजीत शर्मा और संचालन श्री योगेश शर्मा योगी ने की। कार्यक्रम में अंचल के कई प्रतिष्ठित कवियों ने काव्य पाठ कर समां बांध दिया।उनकी कविताओं को श्रोताओं की भरपूर तालियां और वाहवाही मिली।   मुख्य अतिथि के सानिध्य में श्रेष्ठ साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान से डॉ शिरोमणि माथुर को साहित्य सृजन श्रेष्ठ सम्मान से श्री हबीब खान-समर को एवं साहित्य बाल प्रतिभा से शीतल देवांगन को सम्मानित किया गया। कवि सम्मेलन में प्रस्तुत कुछ शानदार झलकियां प्रस्तुत हैं।   सुषमा प्रेम पटेल ने वार्णिक मुक्तक छंद प्रस्तुत किया।   प्रभु राम में निश्छल भक्ति होनी चाहिए। भावना हों शुद्ध अनुरक्ति होनी चाहिए। निष्ठा सच्ची हो वीर हनुमान जी के जैसी। निज हृदय में दृढ़ शक्ति होनी चाहिए।।   सुख़नवर हुसैन रायपुरी   उससे मिलो जो मिलता है सबसे खुशी के साथ देता है मांगने पे जो दरिया दिली के साथ जैसे पहाड़ देते नहीं हैं किसी को कुछ ’’उम्मीद बांथिए न बड़े आदमी के साथ’’   ममता खरे ’’मधु’’   हुयी रौनक अयोध्या में बहारे आज छायी हैं, जन्मभूमि हुयी गर्वित खुशी सौगात लायी है। मुक्तक राम का नाम लेकर के तर जायेगा, व्यर्थ जीवन तेरा ये नहीं जायेगा। जगमगा लेना अपने अंतस को तुम, पा श्रीराम कृपा मनवा तर जायेगा।   डॉ.माणिक विश्वकर्मा ’नवरंग’   काम, क्रोध, मद छोड़कर, कर्म किए निष्काम। ऐसे प्रभु श्रीराम को, बारंबार प्रणाम ।।   राजेंद्र रायपुरी   रामलला के दिन बहुरेंगे। निज मंदिर अब वास करेंगे। बहुत दिनों से थे वनवासी। कारण थे कुछ सत्यानाशी।   अनिल राय (भारत)   राम हैं प्रकाश पूंज, राम दिव्यालोक हैं,, लोक परलोक पार राम ही कराएंगे… राम काज में तन- मन से रमोगे तो, तन मन में सिया राम रम जाएंगे… प्रश्न अस्मिता का नहीं परमपिता का है ये,, राम का महत्व सारे विश्व को बताएंगे.. काम-धाम छोड़के चलेंगे सब राम धाम, धूम धाम से रामोत्सव मनाएंगे.. धूम धाम से राम मंदिर सजाएंगे..   राकेश अग्रवाल ’’साफिर’’   किसी को गिराना जरूरी था किसी को उठाने के लिए, इंसानियत गिर गई ये बात समझाने के लिए। हवाओं में सीधे तौर पर कोई दम न था, साजिशें रचनी पड़ी चरागों को बुझाने के लिए।   पंखुरी   मैं ठाड़ी देखूं राह मेरे तो राम आयेंगे। तरसे अकुलाते नैनों के आराम आयेंगे। क्षण क्षण प्रति क्षण बीत रहा यूं जैसे युग हो भारी, कब वो बाल छबि दिखलाएं चाल ठुमकिया वाली, कौसल्या के हितकारी लल्ला राम आयेंगे। तरसे अकुलाते नैनों के आराम आयेंगे।   अनिल श्रीवास्तव ’ज़ाहिद’   पूर्ण करो प्रभु ,आपसे ,कहता हूं जो बात । राम-राम रटता रहे ,रघुवर मन दिन-रात ॥ अभिनव हर अंदाज़ है ,अद्भुत-अनुपम बोल । अर्णव ,अम्बर क्या !यहाँ ,तू जग में अनमोल ॥   ग़ज़ल सरिता गौतम   चुपचाप किताबों में कहीं खो गया बच्चा, बचपन से बहुत दूर मगर हो गया बच्चा छूटे हैं खिलौने भी वा परियों का देश भी, स्कूल जो गया तो बड़ा हो गया बच्चा   शुभा शुक्ला, ’’निशा’’   सजी है आज दुल्हन सी अयोध्या जगमगाई है सिया संग राम बैठे हैं कि किस्मत रंग लाई है।   योगेश शर्मा योगी   रोटी पानी दे रहे, सबको राजा राम। फिर भी उनके नाम पे, मचा रहे संग्राम।। राम नाम अमृत भरा, पीये संत सुजान। सियाराम की जय कहें, ख़ुश होते हनुमान ।।   गगन मगन हो गा रहा, अवनी आंनद छाय। सरयू तट जगमग सजे। राम अवध है आय।। समय बदलते देख लो, युग है बदला आज। उत्तर ने उत्तर दिया, समय बड़ा सरताज अकबर, बाबर मर गये, कहां रही पहचान। तुलसी घर-घर में मिले, नगर नगर हनुमान   अहिल्या की दुहाई   पत्थर की मैं भली वीराने में जो खड़ी पत्थर की तो पूजा करते नारी को अपमानित करते नारी तभी बनूंगी भगवान जब होगा मेरा सम्मान

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