श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सोमवार को जारी अपने घोषणापत्र में 12 ‘गारंटी’ की घोषणा की। इनमें अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया गया। घोषणापत्र में वर्ष 2000 में तत्कालीन विधानसभा द्वारा पारित स्वायत्तता प्रस्ताव का कार्यान्वयन भी शामिल हैं। जून 2000 में फारूख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर राज्य में 1953 से पहले की संवैधानिक स्थिति बहाल करने की मांग की थी। हालांकि, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने इसे खारिज कर दिया था।
घोषणापत्र जारी करते हुए पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, पार्टी केवल वही वादे कर रही है, जिन्हें वह पूरा कर सकती है। उन्होंने घोषणापत्र को पार्टी का दृष्टिकोण दस्तावेज और शासन का रोडमैप बताया।
केंद्र जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने में विफल रहा तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे : उमर
अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि अगर केंद्र जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने में विफल रहता है तो उनकी पार्टी उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा, वास्तविकता यह है कि हमें अपनी शक्तियों को वापस पाने के लिए संघर्ष करना है। हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम सफल होंगे। कम से कम, पहले प्रयास में हम जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिलाएंगे। हमें उच्चतम न्यायालय को सिर्फ इतना याद दिलाना है कि भारत सरकार ने शीर्ष अदालत से वादा किया है कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।
उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर को बर्बाद करना चाहते हैं: भाजपा
जम्मू-कश्मीर के भाजपा उपाध्यक्ष युद्धवीर सेठी ने सोमवार को कहा, उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। वह केंद्र शासित प्रदेश को बर्बाद करना चाहते हैं। अनुच्छेद 370 पर उन्होंने कहा, उमर अब्दुल्ला को सच बोलना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि जो चीजें चली गईं, वे कभी वापस नहीं आएंगी।
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