धमतरी । दीपावली के बाद पहले शुक्रवार को गंगरेल बांध के किनारे स्थित मां अंगारमोती मंदिर परिसर में पारंपरिक गंगरेल मड़ई का आयोजन हुआ। हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धा और आस्था का ये मेला पूरे जिले में आकर्षण का केंद्र बना रहा। आयोजन में 52 गांवों के देव विग्रह शामिल हुए, जबकि लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे।
मेला परिसर में करीब 11 सौ से अधिक निसंतान महिलाएं मां अंगारमोती से संतान की कामना करती नजर आईं। उन्होंने पेट के बल जमीन पर लेटकर हाथों में फूल, नींबू, अगरबत्ती और नारियल लेकर माता से संतान की कामना की। इसके बाद मंदिर के पुजारी और बैगा उनके ऊपर से गुजरते हुए उन्हें माता का आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है कि इस प्रक्रिया से मां अंगारमोती की कृपा से महिलाओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
जानकारी के अनुसार, मां अंगारमोती मड़ई का आयोजन वर्ष 1976 से निरंतर होता आ रहा है। पहले यह मड़ई चंवर गांव में लगती थी, लेकिन गंगरेल बांध बनने के बाद गांव डूब जाने पर इसे मां अंगारमोती मंदिर परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया। तब से यह परंपरा हर साल दीपावली के बाद के पहले शुक्रवार को निभाई जाती है।
भक्ति और लोक संस्कृति का संगम
गंगरेल मड़ई में न केवल धार्मिक आस्था बल्कि लोक परंपरा, संगीत और जनसंस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। धमतरी जिले के अलावा रायपुर, बालोद, कांकेर और बेमेतरा से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। मां अंगारमोती मंदिर परिसर में भक्ति गीत, पारंपरिक नृत्य और पूजा अनुष्ठानों से पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातावरण में डूबा रहा।
पंडित यशवर्धन पुरोहित ने बताया कि मां अंगारमोती “मातृत्व और शक्ति की अधिष्ठात्री देवी” हैं, और उनकी कृपा से निसंतान महिलाएं संतान सुख प्राप्त करती हैं। मेला प्रशासन की ओर से सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे।


0 Comments