नई दिल्ली। मेडिकल फील्ड में चिकित्सकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती इलाज के दौरान मरीजों को संतुष्ट करना और उन्हें यह भरोसा दिलाना होती है कि उनका उपचार सही दिशा में चल रहा है। अक्सर देखा गया है कि कई चिकित्सक मरीजों के प्रति अपेक्षित संवेदनशीलता नहीं दिखा पाते और उन्हें विश्वास में लेने में असफल रहते हैं।
चिकित्सकों और मेडिकल क्षेत्र से जुड़े अन्य प्रोफेशनल्स को इस विषय में प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से गुजरात के आणंद जिले में देश का पहला ‘बायोएथिक्स सेंटर’ शुरू किया गया है। यह केंद्र सरदार वल्लभभाई पटेल के गृहनगर करमसद स्थित भाईकाका यूनिवर्सिटी के प्रमुखस्वामी मेडिकल कॉलेज में स्थापित किया गया है।
प्रमुखस्वामी मेडिकल कॉलेज के एडिशनल डीन डॉ. दिनेश कुमार कहते हैं, “हम चिकित्सा के नीतिशास्त्र का अध्ययन करते हैं और इसकी शिक्षा छात्रों तथा अन्य डॉक्टरों को प्रदान की जाती है।” इंटरनेशनल चेयर इन बायोएथिक्स, पोर्टो (पुर्तगाल) के तत्वावधान में शुरू किए गए इस सेंटर में डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों और नर्सिंग स्टाफ को ‘बायोएथिक्स’ की शिक्षा दी जा रही है। सेंटर की हेड डॉ. बरना गांगुली बताती हैं, “यह ‘सेंटर ऑफ बायोएथिक्स’ एक नया कॉन्सेप्ट है, जो चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में होने वाले रिसर्च तक को शामिल करता है।”
मेडिकल छात्रों के अनुसार, एक हेल्थ प्रोफेशनल के जीवन में ‘बायोएथिक्स’ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, और इसकी ट्रेनिंग उन्हें भविष्य में संवेदनशील चिकित्सक बनने में मदद करती है। मेडिकल छात्रा जान्हवी टोपीवाला कहती हैं, “हमें फर्स्ट ईयर से ही ‘बायोएथिक्स’ के बारे में सिखाया गया है। हमें बताया गया है कि ‘बायोएथिक्स’ क्या है और इसे दैनिक जीवन में कैसे शामिल किया जा सकता है।”
एक स्वास्थ्यकर्मी के जीवन में एथिक्स और प्रोफेशनलिज्म के बीच बेहतर तालमेल बेहद आवश्यक होता है। भारत में ‘बायोएथिक्स’ को लेकर पिछले कुछ वर्षों में जागरूकता तो बढ़ी है, लेकिन इसके प्रशिक्षण की कमी अब भी बनी हुई है। ऐसे में प्रमुखस्वामी मेडिकल कॉलेज में शुरू हुआ यह ‘बायोएथिक्स सेंटर’ मेडिकल फील्ड के इस महत्वपूर्ण विषय की पढ़ाई और प्रशिक्षण को नई दिशा देने का काम करेगा।


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