चांदी की पालकी में हो सवार पीथमपुर से कलेश्वरनाथ की निकलेगी बरात

जांजगीर-चांपा। पीथमपुर में कलेश्वरनाथ की बरात नागा साधुओं की अगुवाई में शनिवार को शाम चार बजे गाजे-बाजे के साथ निकलेगी। चांदी की पालकी में कलेश्वरनाथ की प्रतिमा को सुसज्जित कर मंदिर परिसर से बारात निकाली जाएगी। इसी के साथ यहां 15 दिवसीय मेला शुरु हो जाएगा।

नवागढ़ ब्लाक के ग्राम पंचायत पीथमपुर के हसदेव नदी के तट पर स्थित कलेश्वरनाथ मंदिर से धूल पंचमी पर निकलने वाली कलेश्वरनाथ की बरात के लिए मंदिर को भव्य रुप से सजाया गया है। शनिवार को शाम चार बजे भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना के बाद बरात निकलेगी। बरात में शामिल होने नेपाल, हरिद्वार, बनारस, अमरकंटक सहित देश के कई स्थानों से विभिन्न् अखाड़ों से नागा साधु बड़ी संख्या में पहुंच चुके हैं। सरपंच रोहणी कुमार साहू ने बताया कि रंग पंचमी पर कलेश्वरनाथ की बरात निकालने की परंपरा लंबे समय से चल रही है।

श्रद्धालु भी बराती के रुप में शामिल होते हैं और भगवान की पालकी उठाते हैं। दोपहर कलेश्वरनाथ की विशेष पूजा अर्चना के बाद नागा साधुओं की अगुवाई में बरात निकाली जाएगी। इस दौरान नागा साधुओं द्वारा शौर्य प्रदर्शन किया जाएगा। मेला भ्रमण के बाद साधु संत हसदेव नदी में शाही स्नान करेंगे। इसके बाद वापस मंदिर लौटकर कलेश्वरनाथ की पूजा अर्चना की जाएगी। उन्होंने बताया कि शनिवार से 15 दिन तक यहां मेला लगेगा। इसके लिए कई प्रकार के झूले, टूरिंग टाकीज, मौत कुआं सहित विभिन्न दुकानें लग गई है।

कलेश्वरनाथ की बरात में शामिल होने विभिन्न् अखाड़ों से नागा साधु पीथमपुर पहुंच गए हैं। यह परंपरा बरसों से चल रही है। बरात में शामिल होने पंच दशनाम जूना, आह्वान, निर्माणी व बैरागी अखाड़े से साधु पहुंचे हैं। साधुओं की दिनचर्या सुबह 4 बजे से स्नान, ध्यान व पूजा अर्चना से होती है। योग व प्राणायाम के अलावा ये ज्यादातर समय ध्यान में लीन रहते हैं। नागा साधु अन्य समय साधारण वस्त्र में रहते हैं, जबकि साधना व अन्य अवसरों पर वस्त्रहीन होते हैं। मंदिर ट्रस्ट के बुलावे पर नागा साधु यहां पहुंचते हैं। पहले शिवजी की बरात में शामिल होने दो तीन सौ साधु पहुंचते थे, लेकिन अब इनकी संख्या कम हुई है।


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