बाढ़ आपदा, बचाव, राहत व्यवस्था एवं ‘‘नियद नेल्लानार‘‘ के संबंध में दिये दिशा निर्देश

 

दंतेवाड़ा। कलेक्टोरेट कार्यालय के तृतीय तल सभा कक्ष में कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी की अध्यक्षता में आज साप्ताहिक समय-सीमा की बैठक आहूत की गई। बैठक में विस्तार पूर्वक मानसून वर्ष 2024 के दौरान प्राकृतिक आपदा से बचाव एवं राहत व्यवस्था के कार्ययोजना के संबंध में बताया गया कि अतिवृष्टि एवं बाढ़ की स्थिति में निगरानी रखने एवं बचाव तथा राहत कार्य के लिये जिला मुख्यालय तथा सभी तहसील मुख्यालय में बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना की जावेगी और इस स्थापित कंट्रोल रूम में कर्मचारियों की ड्यूटी रहेगी। यह नियंत्रण कक्ष 24 घंटे खुली रहने के साथ साथ तहसील में हुई प्रतिदिन की वर्षा तथा अतिवृष्टि बाढ़ से हुई क्षति की जानकारी जिला कंट्रोल रूम में दी जायेगी। जिले के सभी वर्षा मापक केन्द्रों में वर्षा मापक यंत्र स्थापित रहेंगे और वर्षा की दैनिक जानकारी प्रतिदिन प्रातः 09 बजे तक समस्त तहसीलदार जिला कार्यालय भू अभिलेख शाखा में भेजेंगे। नदियों में जलस्तर बढ़ने, अत्यधिक वर्षा की चेतावनी राहत व्यवस्था के संबंध में प्रति दिवस की गई कार्यवाही की जानकारी जिला स्तर पर तैयार व्हाट्सएप में भेजा जावेंगा। इसके अलावा सभी बाढ़ प्रभावित ग्रामो क्षेत्रों में बायो टायलेट की व्यवस्था करने, नालियों, टंकियों की सफाई, क्लोरीन टैबलेट की व्यवस्था करने, शुद्ध पानी की व्यवस्था, पानी टंकी की शुद्धता एवं स्वच्छता को दृष्टिगत रखते हुए ब्लीचिंग पावडर की व्यवस्था एवं सफाई, ट्यूब वेल, हैण्डपम्प का मरम्मत एवं आवश्यकतानुसार बोर खनन की कार्यवाही बारिश के पूर्व सुनिश्चित, बाढ़ प्रभावित ग्रामों में बिजली की आपूर्ति के संबंध में प्रतिदिन जानकारी विद्युत विभाग के द्वारा जिला कार्यालय को उपलब्ध कराने, तथा पहुँचविहीन क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार विद्युत आपूर्ति हेतु लगने वाले उपकरण आदि की व्यवस्था पूख्ता करने, प्रतिदिन विभिन्न नदियों नालों एवं बांध आदि की जल स्तर की रिपोर्टिंग तहसील एवं जिला स्तर के नियंत्रण कक्ष में दिये जाने, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के सड़क पुल-पुलिया में साईन बोर्ड आदि की व्यवस्था दुरूस्त करने, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मौसमी बीमारियों को लेकर प्राथमिक पुर्वक स्वास्थ्य परीक्षण करने, साथ ही सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आगामी 04 माह के लिए मेडिकल किट तथा पर्याप्त मात्रा में मच्छरदानी आदि की उपलब्धता प्रभावित क्षेत्रों में दाल, नमक एवं अन्य आवश्यक खाद्य सामग्रियों आदि के भण्डारण, राहत शिविर हेतु चयनित स्थलों, स्थानीय स्तर पर गोताखोरों का चयन कर नदी घाटों पर बारी-बारी से ड्यूटी लगाने, घाटों में अनाधिकृत आवा-जाही रोकने हेतु मोटर बोट, नाव चलाने के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेकर ही संचालन करने, सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खाद, बीज का भण्डारण व वितरण के संबंध में भी विस्तार पुर्वक निर्देश दिये गये।

उल्लेखनीय है कि जिले में 02 प्रमुख नदियां क्रमशः इन्द्रावती नदी, शंकनी-डंकनी नदी है। इसके अतिरिक्त जिले में 28 अन्य नदी एवं नाले अपवाह क्षेत्र हैं और डूबान क्षेत्र के अंतर्गत तहसील दन्तेवाड़ा में 26 ग्राम 06 वार्ड, तहसील गीदम में 06 ग्राम, कटेकल्याण में 03, बारसूर में ग्राम 14 ग्राम और तहसील कुआकोण्डा में 05 ग्राम आते है। इसी प्रकार जिले में कुल घाट 08 घाट मुचनार घाट, छिन्दनार घाट, करका घाट, पाहुरनार घाट, नेलगोड़ा घाट, इच्छाड़ घाट, बांगोली घाट, होडा घाट, गुमलनार पालोडीपारा घाट स्थित है। इसके अलावा मानसून वर्ष 2024 के लिए जिले में कुल 21 राहत शिविर का चिन्हांकन किया गया है।

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