रायपुर, 24 दिसंबर 2025 छत्तीसगढ़ में खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 किसानों के लिए केवल धान विक्रय का सत्र नहीं, बल्कि भरोसे, सम्मान और आत्मविश्वास से भरा एक नया अध्याय बनकर उभरा है। राज्य सरकार द्वारा लागू की गई आधुनिक, तकनीक आधारित और किसान केंद्रित धान खरीदी व्यवस्था ने यह सिद्ध कर दिया है कि अब किसान की मेहनत पूरी तरह सुरक्षित है और उसका उचित मूल्य समय पर सीधे उसके खाते तक पहुँच रहा है। इसी बदली हुई व्यवस्था की सशक्त मिसाल हैं एम सीबी जिले के ग्राम कंजिया निवासी किसान रामकरण सिंह,l जिन्होंने कंजिया उपार्जन केंद्र में धान विक्रय कर इस नई व्यवस्था की वास्तविक ताकत को स्वयं अनुभव किया। रामकरण सिंह वर्षों से खेती से जुड़े एक साधारण लेकिन परिश्रमी और जुझारू किसान हैं। मौसम की अनिश्चितता, बढ़ती लागत और बाजार की चिंता के बीच भी उन्होंने पूरी लगन और विश्वास के साथ धान की फसल तैयार की। राज्य सरकार की प्रति एकड़ 21 क्विंटल तक धान खरीदी की नीति और 3100 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य ने उनके मन से असुरक्षा और चिंता को दूर कर दिया है। यह नीति किसानों को केवल आर्थिक संबल ही नहीं दे रही, बल्कि उन्हें खेती के प्रति नया आत्मविश्वास और सम्मान भी प्रदान कर रही है।
“तुहर टोकन 24×7” व्यवस्था के अंतर्गत निर्धारित तिथि पर टोकन प्राप्त कर जब रामकरण सिंह कंजिया उपार्जन केंद्र पहुँचे, तो उन्हें पहले की तुलना में कहीं अधिक सुव्यवस्थित, अनुशासित और किसान हितैषी वातावरण देखने को मिला। केंद्र पर बैठने की समुचित व्यवस्था, स्वच्छ पेयजल की सुविधा और कर्मचारियों का सहयोगी व संवेदनशील व्यवहार यह दर्शाता है कि अब खरीदी प्रक्रिया में किसान की सुविधा और सम्मान सर्वोपरि है। न लंबी कतारें रहीं, न अनावश्यक प्रतीक्षा और न ही किसी प्रकार का भ्रम। धान खरीदी के दौरान डिजिटल तौल कांटा, फोटो आधारित सत्यापन और रियल टाइम डेटा एंट्री जैसी आधुनिक तकनीकों ने पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और भरोसेमंद बना दिया। सभी कार्यवाही किसान की उपस्थिति में संपन्न हुई, जिससे किसी भी प्रकार की शंका या असंतोष की कोई गुंजाइश नहीं रही। तकनीक के इस सफल उपयोग से समय की बचत हुई और किसानों का भरोसा व्यवस्था पर और अधिक मजबूत हुआ।
खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में रामकरण सिंह द्वारा कुल 100 क्विंटल धान का सफलतापूर्वक विक्रय किया गया। पूरी प्रक्रिया समयबद्ध, व्यवस्थित और बिना किसी रुकावट के संपन्न हुई। अपने पसीने की कमाई को पारदर्शी और सम्मानजनक तरीके से बिकते देखकर उनके चेहरे पर संतोष, गर्व और आत्मविश्वास स्पष्ट रूप से दिखाई दिया, जो इस बदली हुई व्यवस्था की सफलता का जीवंत प्रमाण है।
धान विक्रय के पश्चात भुगतान राशि सीधे उनके बैंक खाते में जमा होने से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। समय पर भुगतान मिलने के कारण अब वे बच्चों की शिक्षा, घरेलू आवश्यकताओं और आगामी कृषि सत्र की तैयारी को लेकर अधिक आत्मविश्वास के साथ योजनाएं बना पा रहे हैं। यह व्यवस्था किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ठोस और प्रभावी कदम के रूप में सामने आई है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में लागू की गई किसान हितैषी नीतियों के प्रति रामकरण सिंह ने संतोष और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बदली हुई धान खरीदी व्यवस्था ने किसानों के मनोबल को नई ऊँचाई दी है और खेती को एक सुरक्षित, सम्मानजनक और स्थायी आजीविका के रूप में स्थापित किया है। रामकरण सिंह की यह सफलता की कहानी छत्तीसगढ़ के उन हजारों किसानों की भावना और विश्वास को प्रतिबिंबित करती है, जो नई धान खरीदी व्यवस्था से लाभान्वित होकर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। यह कहानी इस बात का सशक्त प्रमाण है कि सही नीति, आधुनिक तकनीक और संवेदनशील प्रशासन मिलकर किसान के जीवन में वास्तविक और सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।


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